जॉर्ज सोरोस ‘नए युग का कलियुग’ और राक्षस है- प्रोफेसर अलेक्ज़ेंडर दुगिन
प्राथमिक टैब्स
क्या आप जानते हैं कि जॉर्ज सोरोस को ‘नए युग का कलियुग’ कहा जा रहा है? रूसी प्रोफेसर अलेक्ज़ेंडर दुगिन ने एक हालिया इंटरव्यू में हंगरी में जन्मे अरबपति जॉर्ज सोरोस को ‘नए युग का कलियुग’ और ‘राक्षस’ करार दिया है।
इस इंटरव्यू में प्रोफेसर दुगिन ने अखंड भारत, डिकॉलोनाइजेशन (उपनिवेशवाद से मुक्ति) और भारतीय हितों से जुड़े कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। यह पूरा इंटरव्यू Sputnik India पर देखा जा सकता है।
आइए प्रोफेसर दुगिन के इन तर्कों को विस्तार से समझते हैं ।
अखंड भारत
इंटरव्यू की शुरुआत में पत्रकार कृष्ण मोहन मिश्रा ने उनसे अखंड भारत पर सवाल किया। प्रोफेसर दुगिन ने इसके जवाब में सिविलाइज़ेशनल स्टेट की बात की। उन्होंने रूस का उदाहरण देते हुए कहा कि इसी तरह भारत भी एक सिविलाइज़ेशनल स्टेट है, जिसे हम अखंड भारत कह सकते हैं।
उनके अनुसार, अखंड भारत केवल राजनीतिक या भौगोलिक सीमाओं से बंधा हुआ नहीं है। यह हमारी संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों का एक ऐसा सामूहिक स्वरूप है, जिसने सदियों से भारत को एकजुट रखा है।
सिविलाइज़ेशनल स्टेट का मतलब होता है ऐसा देश जो केवल किसी क्षेत्र या जातीय समूह का प्रतिनिधित्व न करे, बल्कि एक अद्वितीय सभ्यता का प्रतीक हो। भारत इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
प्रो. दुगिन ने इस संदर्भ में कहा कि किसी सिविलाइज़ेशनल स्टेट को सबसे पहले उपनिवेशवाद से मुक्त होना चाहिए।
डिकॉलोनाइजेशन (उपनिवेशवाद से मुक्ति)
डिकॉलोनाइजेशन पर बात करते हुए प्रोफेसर दुगिन ने कहा कि नामों का महत्व होता है। उन्होंने भारतीय दर्शन का उदाहरण देते हुए ‘रामरूपा’ की अवधारणा का ज़िक्र किया, जहां नाम और रूप आपस में जुड़े हुए हैं। डिकॉलोनाइजेशन का अर्थ है, उपनिवेशवाद के प्रभाव को खत्म करना और अपनी मूल सभ्यता व संस्कृति को अपनाना।
पिछले 10 वर्षों में भारत ने उपनिवेशवाद से जुड़ी कई संस्थाओं, प्रतीकों और नामों को बदलकर अपनी सभ्यतागत जड़ों से जुड़ने की कोशिश की है।
• 2022 में भारतीय नौसेना का ब्रिटिश युग का चिह्न बदला गया।
• राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ रखा गया।
ये प्रयास भारत की सभ्यतागत पहचान को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।
जॉर्ज सोरोस बनाम भारत
अब बात करते हैं जॉर्ज सोरोस की। प्रोफेसर दुगिन ने सोरोस को हर अच्छी और सफल चीज़ के खिलाफ बताया। उनके अनुसार, यही कारण है कि सोरोस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करते हैं।
प्रोफेसर दुगिन ने इंटरव्यू में यह भी कहा कि कांग्रेस पार्टी सोरोस नेटवर्क से प्रभावित हो चुकी है। यह बयान उन आरोपों के समान हैं, जो अक्सर कांग्रेस और राहुल गांधी पर लगाए जाते हैं कि वे विदेशी ताकतों और जॉर्ज सोरोस से प्रभावित हैं।
जॉर्ज सोरोस पर विदेशी देशों में सत्ता परिवर्तन (Regime Change) के लिए अभियान चलाने का आरोप है। कई भारतीय राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सोरोस और उनके द्वारा वित्त पोषित एनजीओ भारतीय राजनीति को प्रभावित करने और राष्ट्रवादी विचारधारा के खिलाफ एक नैरेटिव स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।
प्रोफेसर दुगिन के अनुसार, दुनिया असुरों से भरी हुई है और हमें अपनी सभ्यता, संस्कृति और राष्ट्र को इनसे बचाना होगा।